ज़रा खुलने तो दो – डी के निवातिया
शेर सारे पढ़े जायेंगे तुम्हारे मतलब के ज़रा खुलने तो दो
बाते तमाम होंगी वफ़ा संग बेवफाई की ज़रा घुलने तो दो !!
हर रंग के गुलों से सजायेंगे, ये महफ़िल तुम्हारी शान में
मज़ा ना आये गुफ्तगू में कहना, ज़रा मिलने जुलने तो दो !!
दिल सभी के धड़केंगे जब कसीदे परत-दर-परत पढ़े जाएंगे
दो पल की मुहलत दो, मुशायरे के माहौल में ढलने तो दो !!
बैठे है कई गुनेहगार इश्क के पहली से आखिरी सफ़ तक
कराएंगे हर एक से ख़ुत्बा, ज़रा लबो को हिलने तो दो !!
बेवजह करते हो शिकायत, हकीकत से तुम वाकिफ नहीं
करेंगे हम याद फिर से तुम्हे, एक बार ज़रा भूलने तो दो !!
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डी के निवातिया