ज़माने
कैसे कैसे ये ज़माने आए,
जो भी आए वो रूलाने आए।।
बात दिल की न कह सके उनसे,
हम थे कई बार जान लुटाने आए।।
कल जो मेरे करीब बैठे थे,
आज क्यों लोग उठाने आए।।
बात धुंधली हैं उस ज़माने की,
हम थे रूठे वो मनाने आए।।
दोस्तों तुमको दोस्ती की कसम,
क्यों मुझे दर्द सुनाने आए।।
साथ चाहते हैं लोग घड़ियों का,
हम है जन्मो को निभाने आए।।
दिल तो पहले से दे चुके हैं हम,
आज हम तो जान लुटाने आए।।
कृति भाटिया।।