ज़माने को जगाना है
नई इक नीव रखनी है ज़माने को जगाना है
सुनो फलदार वृक्षों को, जतन कर अब बचाना है … {1}
तले बैठे हो तुम जिनके , कभी मत काटना जड़ से
कवच वो तुमरे जीवन का, उन्हीं से आशियाना है….{2}
कभी मा-बाप को अपने ख़ुदा से कम समझना मत
तुम्हें उनसे दुआओं का मिला कितना खज़ाना है…{3}
न भेजो बृद्ध आश्रम में भला क्यूँ दूर करते हो
मुक़द्दर जो भी पाया है लिखा उनका फ़साना है….{4}
चलो आगाज़ करने का, लिया संकल्प ‘माही’ ने
समर्पित देश को होकर चमन अपना सजा….{5}
© डॉ० प्रतिभा माही