—–ज़माना बदल जाएगा—–
अगले आने वाले सालों में ज्यादातर
पागलों को ढूँढने की जरूरत नहीं है
सरे राह मिल जायेंगे हजारों
लगता है जैसे शेहर में अब इनकी
बारात निकले ही वाली है ….
जिस को देखो, खुद हँसता
खुद रोता, खुद बातें
करता नजर आ ही जाता है
यह खुदा जाने , कि
वो क्या करता जाता है ??
पर हम को तो बेचारा
प्यार में पागल, दीवाना,
लाचार, बनता हुआ ही
नजर आता है !!
कभी रो कर गुजारिश करता है
कभी हंस कर खिलखिला जाता है
बस एक रोग ऐसा लग गया है
उसको, कि वो पागल नजर आता है !!
चाहे, टाटा, चाहे रिलायंस, चाहे
आईडिया, ही वो चला रहा हो
मोबाइल, लैपटॉप, का अब वो
बहुत बीमार नजर आता है !!
नहीं इस का इलाज दुनिया में
डॉक्टर भी हार जायेंगे
कहाँ से लायें इस रोग की दवा
सब से पहले जाकर ,वो कब्र से
धीरू भाई अम्बानी को बुलाएँगे !!
क्या रोग लगा गया…धीरूभाई,
ऐसा तो नहीं सोचा था ?
हर घर में अगले आने वाले
सालों में ज्यादातर , पागल और
बीमार ही नजर आयेंगे ???
अजीत कुमार तलवार
मेरठ