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17 Oct 2020 · 1 min read

ज़माना कह रहा अच्छा हुआ है

ज़माना कह रहा अच्छा हुआ है
मिरे दिल का मगर सौदा हुआ है

पहुंचना पार था जिसको कभी का
किनारे पर वही बैठा हुआ है

जिसे सोचा के शायद नाख़ुदा ये
उसी का मुंह मगर लटका हुआ है

बनाया जिसको सबने रहनुमा था
लुटेरा बन के वो आया हुआ है

उसी ने मुंह न देखा जिसका वो था
मनाऊँ क्या ख़ुशी बेटा हुआ है

तमाशा देखकर के ज़िन्दगी का
मिरा मन क्यों बहुत उलझा हुआ है

फ़क़त देखा नज़र भरकर किसी को
तभी से दिल मेरा बहका हुआ है

हुयी ताबीर मेरे ख़्वाब की जब
लगा मुझको मेरा देखा हुआ है

वो आएंगे अभी आते ही होंगे
न जाने वक़्त क्यों ठहरा हुआ है

मुहब्बत से सजा दो इस चमन को
मिरे दिल का यही फ़तवा हुआ है

मनाना है तो करनी काविशें भी
मेरा ‘आनन्द’ कुछ रूठा हुआ है

स्वरचित
डॉ आनन्द किशोर

3 Likes · 2 Comments · 226 Views
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