ज़न्नत मेरा देश हो,गर इतना सा समझा जाए
ज़न्नत मेरा देश हो,गर इतना सा समझा जाए।
मैला है दिल-आइना,पहले इसको पोछा जाए।।
बातें करते हैं बड़ी,मीठी पावन मनभावन-सी।
भीगे पर कोई नहीं,बरसें चाहे ये सावन-सी।
सुनते हैं इक कान से,दूजे से पल में बह जाए।
मैला है दिल-आइना,पहले इसको पोछा जाए।।
लूटें छल-बल भेद से,करुणा फिरती मारी-मारी।
दानव-सा है आदमी,कहता है खुद को संस्कारी।
अवसर इक ना छोड़ता,काली करतूतें बो जाए।
मैला है दिल-आइना,पहले इसको पोछा जाए।।
सच्चे मन से काम हो,हर मौसम की ज्यों रुत आए।
गंगा-यमुना-सा बहे,यश कीर्ति की आदत आए।
तेरा-मेरा मार के,हम का अफ़साना बन जाए।
मैला है दिल-आइना,पहले इसको पोछा जाए।।
प्रीतम सच की छाँव-सा,नज़राना जिसको मिलता है।
आँधियों में भी सदा,उसका तो दीपक जलता है।
झूठा चलन हार के,सच्चा मन जीवन हो जाए।
मैला है दिल-आइना,पहले इसको पोछा जाए।।
ज़न्नत मेरा देश हो,गर इतना सा समझा जाए।
मैला है दिल-आइना,पहले इसको पोछा जाए।।
आर.एस.प्रीतम
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