ग़ज़ल
बस एक काम मेरे यार कर,
तू मुझे दिल से दिलदार कर,
ज़िन्दगी देखी है ? ज़िन्दगी ?
हमने देखी है ख़ुद को मार कर,
गोया दिल, दिल है, मगर,
तू तो कुछ खुद पे इख़्तियार कर,
दिल-ए-बेताब, तो तैयार है,
पहले तू नज़रो को तलवार कर,
इन तस्वीरों में क्या रखा है,
तू यादो को यादगार कर,
ऐसा न दिलदार कर,
लहज़ा न ये इख़्तियार कर,
प्यार करना है तो प्यार कर,
वरना मुझे तू यादगार कर,