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19 Aug 2017 · 1 min read

ग़ज़ल

तेरी आँखों की गहराई,मुझे पागल बना देगी.
तेरे चेहरे की सुन्दरता,मुझे घायल बना देगी.
हमारे बीच की ए गुफ़्तगू,कुछ ख़ास लगती है.
तेरी बातों की रुन्झुन ही,तेरा पायल बना देगी.
मुझे पाने की तेरी आरज़ू, में है असर ऐसा,
मुझे लगता है ए मुझको, तेरा कायल बना देगी.
तेरी चाहत का जादू भर गया, ऐसा फ़ज़ाओं में,
ये चाहत आसमाँ में ख़ास, इक बादल बना देगी.
मैं कुछ पल का मुसाफ़िर हूँ,’सहज’ लगता है कुछ ऐसा,
तेरी हसरत मुझे कुछ पल में ही,रॉयल बना देगी.
000
@डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता/साहित्यकार
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2 Likes · 1 Comment · 391 Views

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