•ग़ज़ल•
एक चेहरा गुमाँ में रहता है
बादलों के जहाँ में रहता है
गाँव का हुस्न देखिये साहिब
चाँद कच्चे मकाँ में रहता है
हम तो पगडंडियों के राही हैं
और वो कहकशाँ में रहता है
इश्क़ की इक यही खराबी है
हर घडी इम्तिहाँ में रहता है
सिर्फ उसकी तलाश है मुझको
और वो आसमाँ में रहता है
~Aadarsh Dubey