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17 Nov 2021 · 1 min read

ग़ज़ल

जिन्दगी के अनमोल पल गुजर गए।
छोड़कर हमें वो उस पार निकल गए।।

मुड़कर भी न देखा था उन्होंने हमको,
या खु़दा हम उन्हें बुलाते ही रह गए ।।

जुस्तजू उनकी रही थी इस दिल को,
ख़्वाब बनकर इन आँखों में रह गए।।

कहा हि क्या था मालूम नहीं हमको,
सुनकर जिसको वो दूर निकल गए।।

उम्मीद उन पलों के लौट आने कि है,
राह में बनाके घर, हम वहीं ठहर गए।।
-गोदाम्बरी नेगी

3 Likes · 1 Comment · 491 Views
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