ग़ज़ल
ग़ज़ल
किसी की याद आए तो नहीं आँसू बहाना तुम
अँधेरों में उजालों के नये दीपक जलाना तुम//1
भुला देना नसीबों की कहानी को सदा खातिर
लिए ताक़त क़दम पथ में ख़ुशी से हँस बढ़ाना तुम//2
मिटेंगे ज़ख़्म मरहम से दुआओं का असर होगा
मगर विश्वास अंदर का इबादत से जगाना तुम//3
ग़मों की बात तो कायर किया करते ज़माने में
बहादुर बन इन्हें ठोकर लगा दर से भगाना तुम//4
कभी ग़ाफ़िल नहीं होना लियाक़त से बढ़ो आगे
मिलेगी हर ख़ुशी वो ज़िंदगी में जो सजाना तुम//5
मुनासिब हो वही हर काम करना शौक़ से हरपल
मगर दिल मोम का कर आग से ही मत लगाना तुम//6
दिलों पर राज़ हो सबके करो वो काम ऐसा इक
मगर दिल भूल से ‘प्रीतम’ किसी का मत सताना तुम//7
शायर: आर.एस.’प्रीतम’
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