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25 Oct 2021 · 1 min read

ग़ज़ल

ये जमीं जो एक घर है ।
हम सभी की रहगुज़र है।।

खुशनुमा इसकी सतह पर।
एक छत आकाश भर है।।

भिन्न हैं मज़हब सभी के ।
एक सबका ईश्वर है।।

जिंदगी है रेल जिसमें ।
चंद घण्टों का सफ़र है।।

सहज सबको इस जहां में।
मृत्यु का बस एक डर है।।

जगदीश शर्मा सहज

1 Like · 1 Comment · 265 Views
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