ग़ज़ल
दिल की नजाकत को समझिये,
उल्फ़त की इबादत को समझिये।
दिल टूट जाये तो कोई ग़म नहीं,
हयात की हक़ीक़त को समझिये।
न चाँद, न तारे की बात कभी करूँ,
मुहब्बत की फ़ितरत को समझिये।
ज़माने की बगावत से न घबराना,
जाँबाजों की शहादत को समझिये।
दौलत और चेहरे पे मरने वालों,
इंसान की शराफ़त को समझिये।
✍️श्यामनिवास सिंगार
रायगढ़, छत्तीसगढ़ (भारत )