$ग़ज़ल
#ग़ज़ल
मीटर-1222/1222/1222/1222
नज़र ने मिल नज़र से हर इशारा कर दिया हमदम
हमें दिल से तुम्हारा बस तुम्हारा कर दिया हमदम
इबादत है मुहब्बत वो जिसे भूला नहीं जाता
हसीं इसने खिला पलपल हमारा कर दिया हमदम
सुना मैंने कहा तूने निभाया यूँ किया वादा
शराफ़त ने इनायत को सहारा कर दिया हमदम
शिकायत की नहीं हमने शरारत की नहीं कोई
निभाकर रीत उल्फ़त की गुज़ारा कर दिया हमदम
कहानी से जवानी को मिलाया इस तरह हमने
नदी सागर मिलन मंज़र नज़ारा कर दिया हमदम
दिले अरमान समझे एक दूजे के सदा हमने
ख़ुशी को ज़िंदगी का यूँ पिटारा कर दिया हमदम
ग़मों में भी कभी प्रीतम नहीं विश्वास हारे हम
इरादे नेक ने जीवन सितारा कर दिया हमदम
#आर.एस. ‘प्रीतम’