ग़ज़ल
तन्हाई किसी की मुस्तकबिल न हो
खुशियां इतनी भी मुश्किल न हो
और पाने की आशा हो
अंतिम लक्ष्य हासिल न हो
प्यार तो सच्चा हो
लेकिन उसकी मंजिल न हो
प्रेम में डूबा हो
स्नेह-सरिता का साहिल न हो
मन में समर्पण हो
महबूबा संगदिल न हो
ज्ञान का भंडार हो
पर मानव जाहिल न हो
उससे भी प्यार हो
जो उसके काबिल न हो
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:- आलोक कौशिक
संक्षिप्त परिचय:-
नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com