ग़ज़ल
फालतू की बात पर रोता है क्या ?
दिल जो भी चाहे वही होता है क्या ??
मत लगा उम्मीद दौलत-ए-ग़ैर की,
पुत्र है उसका या तू पोता है क्या ??
ये नदी है प्रेम की तू डूब जा,
और इससे बेहतर गोता है क्या ??
ख़ुद-ब-ख़ुद टकरा रहा है रोज़ तू,
जागता है याकि फिर सोता है क्या ??
नाम ‘ईश्वर’ का हृदय से ले ज़रा,
वक्त नाहक काम में खोता है क्या ??
—– ईश्वर दयाल गोस्वामी ।