ग़ज़ल
दुनिया के सब रिश्ते देखे
टूटे दिल भी जुड़ते देखे।
मन का मैल धुला जब जब भी
ठंडे जिस़्म पिघलते देखे।
गूँजी मन में शहनाई जब
दिल से राग निकलते देखे।
वक़्त की डोर जिधर है खींचे
पाँव उधर ही उठते देखे।
रूह-बद़न जब आज मिले तो
बीच के फासले मिटते देखे।
उल्फ़त की है अज़ब कहानी
दर्द ही सबको मिलते देखे।
गम़ है ‘अमर’ तो उल्फ़त भी है
जोड़ मुक़म्मल बँधते देखे।
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