Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2016 · 1 min read

ग़ज़ल

क्यूँ नज़र से नज़ारे जुदा हो गये
लग रहा खुद नज़र में खुदा हो गये

इश्क़ में कर सका बस मैं इतनी वफ़ा
बेवफा से बफा , बेवफा हो गये

हैरतों में हमीं हैं कि तुम भी हो कुछ
किस लिए थे चले और क्या हो गये

हाल ख़त – ओ-किताबत जरा देखिये
रोग, पैसा , दवा औ दुआ हो गये

नींव रिश्तों की क्यूँ कर दरकने लगी
दिल के जज़्बात क्यूँ कर हवा हो गये

चीख मंदिर से लेकर के मस्जिद तलक
और क्या राह थी , ” बेजुबां” हो गये
…रविन्द्र श्रीवास्तव” बेजुबान”…..

315 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पीते हैं आओ चलें , चलकर कप-भर चाय (कुंडलिया)
पीते हैं आओ चलें , चलकर कप-भर चाय (कुंडलिया)
Ravi Prakash
डिगरी नाहीं देखाएंगे
डिगरी नाहीं देखाएंगे
Shekhar Chandra Mitra
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
Kshma Urmila
यह कौन सा विधान हैं?
यह कौन सा विधान हैं?
Vishnu Prasad 'panchotiya'
2531.पूर्णिका
2531.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
..........?
..........?
शेखर सिंह
पतझड़ के दिन
पतझड़ के दिन
DESH RAJ
बेटी
बेटी
Dr Archana Gupta
कल पर कोई काम न टालें
कल पर कोई काम न टालें
महेश चन्द्र त्रिपाठी
भोर
भोर
Omee Bhargava
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
कवि दीपक बवेजा
फितरत जग में एक आईना🔥🌿🙏
फितरत जग में एक आईना🔥🌿🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
रावण की हार .....
रावण की हार .....
Harminder Kaur
हम जैसे बरबाद ही,
हम जैसे बरबाद ही,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दिल से हमको
दिल से हमको
Dr fauzia Naseem shad
जवाबदारी / MUSAFIR BAITHA
जवाबदारी / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
इश्क़ छूने की जरूरत नहीं।
इश्क़ छूने की जरूरत नहीं।
Rj Anand Prajapati
बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
डा गजैसिह कर्दम
" नयी दुनियाँ "
DrLakshman Jha Parimal
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हां मैं दोगला...!
हां मैं दोगला...!
भवेश
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
माँ-बाप का मोह, बच्चे का अंधेरा
माँ-बाप का मोह, बच्चे का अंधेरा
पूर्वार्थ
कविता-शिश्कियाँ बेचैनियां अब सही जाती नहीं
कविता-शिश्कियाँ बेचैनियां अब सही जाती नहीं
Shyam Pandey
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
*Author प्रणय प्रभात*
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
* यौवन पचास का, दिल पंद्रेह का *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"चालाक आदमी की दास्तान"
Pushpraj Anant
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वो तो शहर से आए थे
वो तो शहर से आए थे
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...