#ग़ज़ल-47
ज़िन्दगी पीछे देखने का है नहीं बस नाम
तुम बढ़ो आगे सदा ही हो सुबह या शाम/1
फ़ासले मिटते चलेंगे देखना तुम यार
हौंसला दिल में रखो तुम हों सभी फिर काम/2
ख़ार फूलों में ढ़लेंगे जब चलोगे ठान
कारवां बनता चलेगा मंज़िलें ईनाम/3
चाहतें बदलाव की हों कुछ नया हो दीद
हरकतें फल दें करो तुम झूम आए धाम/4
प्यार मिल जाए अगर तो ज़िन्दगी है साज़
झूम गाए दिल मिलेगा रात-दिन आराम/5
भूल जा प्रीतम सफ़र ग़म पक रही है प्रीत
नेकियों का तो मिलेगा खास कोई दाम/5
-आर.एस.’प्रीतम’