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30 Apr 2018 · 1 min read

#ग़ज़ल-58

अरक़ान= फ़ाइलुन +फ़ाइलुन+फ़ाइलुन+फ़ा
वज़्न..212-212-212-2
ग़ज़ल

हम मिलें अब चलेंगें सफ़र में
प्यार जागा हुआ दिल ज़िगर में/1

आज हर शै लुभाती लगे है
मौज बसती चले दिल-शहर में/2

दूरियाँ रो रहीं साथ को अब
चाँद जो खिल रहा आज घर में/3

आइए बैठ हम बात कर लें
उठ रही जो सनम इस पहर में/4

आमने-सामने झूठ कुछ क्या
सच वही जो सभी की नज़र में/5

ढूँढने को यहाँ ढूँढ लेते
दाग़ भी लोग नभ के क़मर में/6

वो ख़ुदा जानता है वफ़ा को
खोज़ लेता सितम या क़हर में/7

जाल प्रीतम बिछा है सितम का
जो कटेगा एक दिन समर में/8

-आर.एस.’प्रीतम’

1 Like · 236 Views
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