Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2018 · 1 min read

ग़ज़ल

मैं ने ये जब सुना तो मेरा दिल दहल गया।
सूरज का जिस्म आग की लपटों से जल गया।

मौसम ने ऐसी आग लगाई थी रात में।
मेरे बदन में खून था जितना उबल गया।

सूखे लबों की प्यास बुझाने के वास्ते।
कल रात चाँद बर्फ की तरह पिघल गया।

मंज़र अजब ये देख के हैरत ज़दा हैं फूल।
शबनम का पाँव धूप की शिद्दत से जल गया।

ताबीर की हथेलियाँ पीली न हो सकीं।
इक ख़ौफ़ मेरे ख़्वाब के सर को कुचल गया।

परछाइयों ने अक्स के कपड़े पहन लिए।
आईना जब से संग के पैकर में ढल गया।

कैसे बताएं तुझ को के तेरी तलाश में।
साया हमारे जिस्म का पैदल निकल गया।

कलयों का हुस्न लूट के भँवरे चले गए।
फूलों पे धूप उंडेल के सूरज निकल गया।

होंटों से तेरे लफ़्ज़ों के बादल बरस गए।
खामोशियों का दश्त ए सुकूँ था जो जल गया।

जलते हुए चराग़ पे जूँ ही नज़र पड़ी।
कुछ सिरफिरी हवाओं का लहजा बदल गया।

मोहसिन आफ़ताब केलापुरी
मोबाइल : 7620785795 ;
7083785795

543 Views

You may also like these posts

बना रही थी संवेदनशील मुझे
बना रही थी संवेदनशील मुझे
Buddha Prakash
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
Rj Anand Prajapati
कफ़न
कफ़न
Shweta Soni
दिन - रात मेहनत तो हम करते हैं
दिन - रात मेहनत तो हम करते हैं
Ajit Kumar "Karn"
लक्ष्य
लक्ष्य
Suraj Mehra
एक तेरा दिल
एक तेरा दिल
Lekh Raj Chauhan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Deepanjali Dubey
फिर से आंखों ने
फिर से आंखों ने
Dr fauzia Naseem shad
प्रतिशोध
प्रतिशोध
Shyam Sundar Subramanian
*रामपुर रजा लाइब्रेरी की दरबार हॉल गैलरी : मृत्यु का बोध करा
*रामपुर रजा लाइब्रेरी की दरबार हॉल गैलरी : मृत्यु का बोध करा
Ravi Prakash
शायरी
शायरी
Rambali Mishra
इतने failures के बाद भी अगर तुमने हार नहीं मानी है न,
इतने failures के बाद भी अगर तुमने हार नहीं मानी है न,
पूर्वार्थ
स्त्री
स्त्री
Dinesh Kumar Gangwar
"दोस्ती की उम्र "
Dr. Kishan tandon kranti
पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
पुण्यधरा का स्पर्श कर रही, स्वर्ण रश्मियां।
surenderpal vaidya
तकिया
तकिया
Sonu sugandh
सब्जी के दाम
सब्जी के दाम
Sushil Pandey
गोरे गोरे गाल
गोरे गोरे गाल
RAMESH SHARMA
धैर्य
धैर्य
Sanjay ' शून्य'
संन्यास के दो पक्ष हैं
संन्यास के दो पक्ष हैं
हिमांशु Kulshrestha
✍️ दोहा ✍️
✍️ दोहा ✍️
राधेश्याम "रागी"
अमन तहज़ीब के परचम को हम ईमान कहते हैं।
अमन तहज़ीब के परचम को हम ईमान कहते हैं।
Phool gufran
तेरा मेरा खुदा अलग क्यों है
तेरा मेरा खुदा अलग क्यों है
VINOD CHAUHAN
3766.💐 *पूर्णिका* 💐
3766.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सांता क्लॉज आया गिफ्ट लेकर
सांता क्लॉज आया गिफ्ट लेकर
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
फिर पर्दा क्यूँ है?
फिर पर्दा क्यूँ है?
Pratibha Pandey
ऊपर बैठा नील गगन में भाग्य सभी का लिखता है
ऊपर बैठा नील गगन में भाग्य सभी का लिखता है
Anil Mishra Prahari
हमारी आखिरी उम्मीद हम खुद है,
हमारी आखिरी उम्मीद हम खुद है,
शेखर सिंह
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
Neeraj Pandey
ഋതുമതി
ഋതുമതി
Heera S
Loading...