ग़ज़ल
बहर..1222-1222-122
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रदीफ़.. बुरा है
काफ़िया.. ग़म-दम-नम-कम-सम-हम-तम
हमें यूँ ना सताओ ग़म बुरा है।
सुनो तुम बिन हमारा दम बुरा है।।
कभी जी ना सकूँगा सुन ज़रा तू।
बिना तेरे हर क़दम जानम बुरा है।।
गले लग जा सितम ना कर हसीना।
अरे दिल ये सताना कम बुरा है।।
सवेरा ला ख़ुशी भर दे ख़ुदा तू।
सुनो जीवन भरा ये सम बुरा है।।
सजाता मैं सदा जीवन रहा पर।
मिला ईनाम ये है हम बुरा है।।
चलो सीखा बहुत है कम गिला है।
बुरा सोचा अगर प्रीतम बुरा है।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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