Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2016 · 1 min read

ग़ज़ल (हम इंतजार कर लेगें )

बोलेंगे जो भी हमसे बह ,हम ऐतवार कर लेगें
जो कुछ भी उनको प्यारा है ,हम उनसे प्यार कर लेगें

वह मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही सपनो में
क़यामत से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें

मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें

जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी है
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें

हमको प्यार है उनसे और करते प्यार बह हमको
गर अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पर कर लेगें

ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना

315 Views

You may also like these posts

देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
शेखर सिंह
रिश्ता
रिश्ता
Santosh Shrivastava
ज़िंदगी तुझसे कहां जी भरता है
ज़िंदगी तुझसे कहां जी भरता है
Kanchan verma
स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए
स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए
Sonam Puneet Dubey
एक दिन की बात बड़ी
एक दिन की बात बड़ी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सज सवंर कर श्रीमती जी ने
सज सवंर कर श्रीमती जी ने
Chitra Bisht
मन
मन
MEENU SHARMA
जिंदगी
जिंदगी
meenu yadav
मुखौटा
मुखौटा
Ashwini sharma
तू बदल गईलू
तू बदल गईलू
Shekhar Chandra Mitra
नशे का घूँट पीकर के तो मंथन कर नहीं सकती
नशे का घूँट पीकर के तो मंथन कर नहीं सकती
अंसार एटवी
आपस में अब द्वंद है, मिलते नहीं स्वभाव।
आपस में अब द्वंद है, मिलते नहीं स्वभाव।
Manoj Mahato
सीख लिया है सभी ने अब
सीख लिया है सभी ने अब
gurudeenverma198
2904.*पूर्णिका*
2904.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
ओसमणी साहू 'ओश'
कद्र और कीमत देना मां बाप के संघर्ष हो,
कद्र और कीमत देना मां बाप के संघर्ष हो,
पूर्वार्थ
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
विरह की वेदना
विरह की वेदना
Kirtika Namdev
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
Rekha khichi
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
"आँसू"
Dr. Kishan tandon kranti
राम चले वनवास
राम चले वनवास
कार्तिक नितिन शर्मा
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
वसियत जली
वसियत जली
भरत कुमार सोलंकी
वादा कर लो.....
वादा कर लो.....
sushil sarna
स्वप्न
स्वप्न
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आओ, फिर एक दिया जलाएं
आओ, फिर एक दिया जलाएं
Atul Mishra
विद्या का आलय:पी एम श्री केन्द्रीय विद्यालय धर्मशाला छावनी
विद्या का आलय:पी एम श्री केन्द्रीय विद्यालय धर्मशाला छावनी
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
सांस
सांस
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...