ग़ज़ल-सुधीर मिश्र
गज़ल-
उनकी चिट्ठी निकाल लेता हूँ।।
खुद को मुश्किल में डाल लेता हूँ।।
बीत जाती है रात आंखों में,
चन्द ख़्वाबों को पाल लेता हूँ।।
जो मैं कहता नहीं किसी से भी,
उसको लफ़्ज़ों में ढाल लेता हूँ।।
सर्द मौसम की हिमाक़त क्या है,
अश्क़ अपने उबाल लेता हूँ।
सुधीर मिश्र,घिरोर
मैनपुरी।
(सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित)
मोबाइल नंबर-7906958114
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