ग़ज़ल- सागर पे है भारी देखो
ग़ज़ल- सागर पे है भारी देखो
★★★★★★★★★★★
जिससे मेरी यारी देखो
उसने की गद्दारी देखो
आँसू का ये बहता दरिया
सागर पे है भारी देखो
तेरे खातिर ऐ जानेमन
मरने की तैयारी देखो
पाँचोँ थे रखवाले जिसके
रोती थी वो नारी देखो
दुख दर्दोँ की सर्द हवाएँ
जीवन की दुश्वारी देखो
भाव भरा ‘आकाश’ कहाँ है
रिश्तोँ मेँ लाचारी देखो
– आकाश महेशपुरी