ग़ज़ल:- वो एक झलक दिल मे, कसक बनके रहेगी…
वो एक झलक दिल मे, कसक बनके रहेगी।
यादों में तो हर बात, सबक बनके रहेगी।।
गिनती में भले चार, मग़र स्वाद हमीं से।
आंटे में नमक की ही, चमक बनके रहेगी।।
सनको न कभी आप, हो नुकसान खुदी का।
अब जान की दुश्मन ये, सनक बनके रहेगी।।
तुम ख़ूब परख लेना, हैं सोने से खरे हम।
आवाज़ हमारी भी, खनक बनके रहेगी।।
बिंदी भले सस्ती हो, ये जेबर पे है भारी।
माथे पे सुहागिन के, तिलक बनके रहेगी।।
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’
221 1221, 1221 122