ग़ज़ल- राज दिल पे किया सनम तुमने
ग़ज़ल- राज दिल पे किया सनम तुमने
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राज दिल पे किया सनम तुमने
दिल को ही दे दिया है गम तुमने
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मैंने समझा कि दिल के साथी हो
और इस पर किया सितम तुमने
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मेरी चाहत का भी कदर होगा
तोड़ डाला है ये भरम तुमने
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फूल जैसा समझ लिया तुमको
पत्थरों सा किया धरम तुमने
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दोष “आकाश” है नहीं तेरा
जो रिवायत किया करम तुमने
– आकाश महेशपुरी