Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Nov 2018 · 1 min read

ग़ज़ल — यूँ न बस दूर से सलाम करें

2122 1212 22/112
तरही ग़ज़ल
**** *****

पास में भी ज़रा मुक़ाम करें
यूँ न बस दूर से सलाम करें

यूँ हुआ है चिराग़ कब रौशन
तेल का भी तो इंतज़ाम करें

खूब घूमे नगर नगर जाकर
”आप अब और कोई काम करें”

क्यूँ भटकना इधर उधर जाकर
माँ के कदमों में चार धाम करें

बागबां ख़ुद चमन जला देगा
उसकी कोशिश चलो हराम करें

हो रहा है धुआँ धुआँ सब कुछ
क्यूँ न बादल का एहतमाम करें

खूब मग़रूर हैं क़दम उनके
प्यार करके उन्हें ग़ुलाम करें

ये सितारे कमर की ज़ीनत हैं
मेरे घर में भी एक शाम करें

— क़मर जौनपुरी

3 Likes · 2 Comments · 303 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Adha's quote
Adha's quote
Adha Deshwal
विकट जंग के मुहाने पर आज बैठी है ये दुनिया
विकट जंग के मुहाने पर आज बैठी है ये दुनिया
इंजी. संजय श्रीवास्तव
वक्त की चोट
वक्त की चोट
Surinder blackpen
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दूसरों के दिलों में अपना घर ढूंढ़ना,
दूसरों के दिलों में अपना घर ढूंढ़ना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#आज
#आज
*प्रणय*
स्थिरप्रज्ञ
स्थिरप्रज्ञ
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
"समय का मूल्य"
Yogendra Chaturwedi
Day moon
Day moon
Otteri Selvakumar
2870.*पूर्णिका*
2870.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*जलने वाले जल रहे, जल-भुनकर हैं राख (कुंडलिया)*
*जलने वाले जल रहे, जल-भुनकर हैं राख (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आसमान से अब मत पूछो,
आसमान से अब मत पूछो,
Bindesh kumar jha
"जलने के बाद"
Dr. Kishan tandon kranti
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा
झूठी आशा बँधाने से क्या फायदा
Dr Archana Gupta
किसी को उदास देखकर
किसी को उदास देखकर
Shekhar Chandra Mitra
मेघों की तुम मेघा रानी
मेघों की तुम मेघा रानी
gurudeenverma198
मनुष्य और प्रकृति
मनुष्य और प्रकृति
Sanjay ' शून्य'
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
चाल समय के अश्व की,
चाल समय के अश्व की,
sushil sarna
जिंदगी रोज़ नये जंग दिखाए हमको
जिंदगी रोज़ नये जंग दिखाए हमको
Shweta Soni
माँ में दोस्त मिल जाती है बिना ढूंढे ही
माँ में दोस्त मिल जाती है बिना ढूंढे ही
ruby kumari
खामोश किताबें
खामोश किताबें
Madhu Shah
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
श्री शूलपाणि
श्री शूलपाणि
Vivek saswat Shukla
नारी....एक सच
नारी....एक सच
Neeraj Agarwal
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
Dr.Pratibha Prakash
आह और वाह
आह और वाह
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...