Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jul 2016 · 1 min read

ग़ज़ल (मुसीबत यार अच्छी है)

मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है
कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है

किसकी कुर्बानी को किसने याद रक्खा है दुनिया में
जलता तेल और बाती है कहते दीपक जलता है

मुहब्बत को बयाँ करना किसके यार बश में है
उसकी यादों का दिया अपने दिल में यार जलता है

बैसे जीवन के सफर में तो कितने लोग मिलते हैं
किसी चेहरे पे अपना दिल अभी भी तो मचलता है

समय के साथ बहने का मजा कुछ और है यारों
रिश्तें भी बदल जाते समय जब भी बदलता है

मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है
कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है

ग़ज़ल (मुसीबत यार अच्छी है)
मदन मोहन सक्सेना

480 Views

You may also like these posts

खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
Anand Kumar
किसी ने कहा- आरे वहां क्या बात है! लड़की हो तो ऐसी, दिल जीत
किसी ने कहा- आरे वहां क्या बात है! लड़की हो तो ऐसी, दिल जीत
जय लगन कुमार हैप्पी
भावना मर्म की, होती नहीं विशुद्ध
भावना मर्म की, होती नहीं विशुद्ध
RAMESH SHARMA
विनती
विनती
Kanchan Khanna
ज़िंदगी के सौदागर
ज़िंदगी के सौदागर
Shyam Sundar Subramanian
- सबको एकल जिंदगी चाहिए -
- सबको एकल जिंदगी चाहिए -
bharat gehlot
कैदी
कैदी
Tarkeshwari 'sudhi'
विषय-घटता आँचल
विषय-घटता आँचल
Priya princess panwar
कामिल नहीं होता
कामिल नहीं होता
Kunal Kanth
चोरी की कविताएं पढ़कर
चोरी की कविताएं पढ़कर
Manoj Shrivastava
मित्रों से अच्छा नहीं,
मित्रों से अच्छा नहीं,
sushil sarna
माँ सरस्वती प्रार्थना
माँ सरस्वती प्रार्थना
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हमारा प्यार
हमारा प्यार
Dipak Kumar "Girja"
This is Today
This is Today
Otteri Selvakumar
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
हिंदी दिवस पर हर बोली भाषा को मेरा नमस्कार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
" ऐ मेरे हमदर्द "
Dr. Kishan tandon kranti
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
Neelam Sharma
"Multi Personality Disorder"
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मोर पंख सी नाचे धरती, आह सुहानी
मोर पंख सी नाचे धरती, आह सुहानी
Suryakant Dwivedi
"हिंदी भाषा है, समाज का गौरव दर्पण"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
माँ भारती के वरदपुत्र: नरेन्द्र मोदी
माँ भारती के वरदपुत्र: नरेन्द्र मोदी
Dr. Upasana Pandey
मईया के आने कि आहट
मईया के आने कि आहट
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं
कवि दीपक बवेजा
श्राद्ध पक्ष
श्राद्ध पक्ष
surenderpal vaidya
Good night
Good night
*प्रणय*
समय की कविता
समय की कविता
Vansh Agarwal
कोई बाहों में होकर भी दिल से बहुत दूर था,
कोई बाहों में होकर भी दिल से बहुत दूर था,
Ravi Betulwala
दोस्त जीवन में मिल ही जाते हैं।
दोस्त जीवन में मिल ही जाते हैं।
लक्ष्मी सिंह
सत्य की खोज
सत्य की खोज
SHAMA PARVEEN
शहर में नकाबधारी
शहर में नकाबधारी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...