ग़ज़ल- मीठा सा दर्द दिल में मेरे वो जगा गया
मीठा सा दर्द दिल में मेरे वो जगा गया।
आंखों को जब हसीन नज़ारे दिखा गया।
आकर परिंदा बैठ गया ज्यों ही साख़ पर।
सूखे शज़र पे देखिए मधुमास आ गया।।
दहलीज-ए-दिल पे पड़ गये ज़ानम तेरे क़दम।
क़दमों में अपना दिल बिछाना रास आ गया।।
महका गया है कोई मेरे घर को इस क़दर।
आबोहवा में अपनी वो ख़ुशबू लुटा गया।।
ऐसे पढ़ा गया है मुहब्बत का वो सबक।
पल भर में जिंदगी मुझे जीना सिखा गया।।
इतिबार हो गया उसे इफ़्फ़त पे अब मेरी।
छूकर लबों को लब से इब़्तिसाम ला गया।।
हाथों में रब ने खूब अता की सिफ़त उसे।
पत्थर था “कल्प” मोम सा नाज़ुक बना गया।
अरविंद राजपूत ‘कल्प’
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