Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2020 · 1 min read

ग़ज़ल:- खुद पर ही शर्मिंदा हैं..

ख़ुद पर ही शर्मिंदा हैं।
आज तलक क्यों जिंदा हैं।।

कालख मुहँ पर पोत रखी।
फ़िर भी हम ताबिंदा हैं।।

ठौर-ठिकाना पता नहीं।
हम दिल के वाशिंदा हैं।।

भूल न जाना हमको भी।
मरे नहीं पाइंदा हैं।।

कर्ता-धर्ता एक ख़ुदा
हम तो बस कारिंदा हैं।।

ख़त्म हुआ खेल कल्प का।
‘कल्प’ नही अरविंदा हैं।।

अरविंद राजपूत ‘कल्प’
फ़ेलुनx7

कारिंदा- प्रतिनिधि
ताबिन्दा- चमकदार
पाइंदा- सदैव
वाशिंदा- मूलनिवासी
आइंदा- भविष्य

2 Likes · 1 Comment · 244 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उसकी सौंपी हुई हर निशानी याद है,
उसकी सौंपी हुई हर निशानी याद है,
Vishal babu (vishu)
"जोड़ो"
Dr. Kishan tandon kranti
*आत्म-मंथन*
*आत्म-मंथन*
Dr. Priya Gupta
पर्यावरण
पर्यावरण
नवीन जोशी 'नवल'
मन मस्तिष्क और तन को कुछ समय आराम देने के लिए उचित समय आ गया
मन मस्तिष्क और तन को कुछ समय आराम देने के लिए उचित समय आ गया
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
डॉ. दीपक मेवाती
तू है तसुव्वर में तो ए खुदा !
तू है तसुव्वर में तो ए खुदा !
ओनिका सेतिया 'अनु '
*दहेज*
*दहेज*
Rituraj shivem verma
अहिल्या
अहिल्या
अनूप अम्बर
खुद को तलाशना और तराशना
खुद को तलाशना और तराशना
Manoj Mahato
"चाणक्य"
*प्रणय प्रभात*
हमने एक बात सीखी है...... कि साहित्य को समान्य लोगों के बीच
हमने एक बात सीखी है...... कि साहित्य को समान्य लोगों के बीच
DrLakshman Jha Parimal
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
Rajesh Tiwari
सितमज़रीफी किस्मत की
सितमज़रीफी किस्मत की
Shweta Soni
डायरी मे लिखे शब्द निखर जाते हैं,
डायरी मे लिखे शब्द निखर जाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गुलाम
गुलाम
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
प्रेमदास वसु सुरेखा
अंदर मेरे रावण भी है, अंदर मेरे राम भी
अंदर मेरे रावण भी है, अंदर मेरे राम भी
पूर्वार्थ
अपनी-अपनी विवशता
अपनी-अपनी विवशता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
Bundeli Doha by Rajeev Namdeo Rana lidhorI
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लौटेगी ना फिर कभी,
लौटेगी ना फिर कभी,
sushil sarna
" आज चाँदनी मुस्काई "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
भगवान कहाँ है तू?
भगवान कहाँ है तू?
Bodhisatva kastooriya
" तेरा एहसान "
Dr Meenu Poonia
गुज़रते हैं
गुज़रते हैं
हिमांशु Kulshrestha
23/45.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/45.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" मन मेरा डोले कभी-कभी "
Chunnu Lal Gupta
सूरज का टुकड़ा...
सूरज का टुकड़ा...
Santosh Soni
साँसें कागज की नाँव पर,
साँसें कागज की नाँव पर,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Loading...