ग़ज़ल- प्यार होता है क्या, प्यार होता है क्यों
प्यार होता है क्या, प्यार होता है क्यों।
कोई भा जाए तो, दिल मचलता है क्यों।।
चेन मिलता नहीं, नींद आती नहीं।
दर्द मीठा मगर, दर्द होता है क्यों।।
रात दिन बस सनम, याद आते हो तुम।
भीड़ में दिल अकेला ही होता है क्यों।।
मौत आती नही, साँस चलती नहीं।
जिंदा रहने का, एहसास होता है क्यों।।
भूँख लगती नहीं, प्यास लगती नहीं।
भूँख जन्मों की अब, तू बढ़ाता है क्यों।।
सूखी धरती पड़ी, मेधा बरसे नहीं।
स्वाति की बूँद को, दिल तरसता है क्यों।।
शाम से रात कब ये सुबह हो गई।
वक़्त यादों में ही, अब गुजरता है क्यों।।
बह गया ‘कल्प’ के , आँसुओं में ज़हाँ।
अश्क़ की बूंद से, दिल सिसकता है क्यों।।
✍?? अरविंद राजपूत ‘कल्प’ ?✍?
बह्र-ए-मुतदारिक मुसम्मन सालिम
अरकान – फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन
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