ग़ज़ल : प्यार में गलत फ़हमी
अपने मन में कितनी गलतफ़हमी पाल लेते हैं कुछ लोग
वो प्यार नहीं करती, पर वो सारी उम्र गुजार लेते हैं लोग !!
तनहाई में बैठ बैठ कर , कल्पना को पंख लगा लेते हैं लोग
पता है वो किसी और की है, फिर भी परेशांन होते हैं यह लोग !!
नजरिया अपना बदल बदल कर दिमाग में बैठा लेते हैं लोग
अपने घर से उसका पीछा , करने तक चल देते हैं कुछ लोग !!
जिन्दगी में ऐसे लोग सताए हुए लगने लग जाते हैं
दोस्तों के सामने नित नय किस्से सुनाते हैं कुछ लोग !!
मैने उस को यह कहा, मैने उस को यह कहा, जाने क्या क्या
बाते बना बना कर अपने संग दूसरो का दिल बहलाते हैं लोग !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ