#ग़ज़ल-49
दीद तेरा हो अगर तो जी उठेंगे यार
प्यार तेरा जीत मेरी ना मिला तो हार/1
ज़िंदगी में मीत नहीं तो गीत है बेकार
सीप का मोती बिना सजता नहीं आधार/2
दो दिलों का साथ हो तो हार में भी जीत
फूल ख़ुशबू जब मिलें तो हँस उठे गुलज़ार/3
प्यार सच है ज़िंदगी में भूलना मत बात
प्यार से ही प्यार का सजता सदा है सार/4
आज सारे ग़म गिले तू भूलके चल साथ
हो जहां रोशन हमारा खिल उठे घर-बार/5
है ख़ुदा के नाम जैसी प्रीत ‘प्रीतम’ जान
नेक बंदा वो जहां में साथ जिसके प्यार/6
-आर.एस.’प्रीतम’