ग़ज़ल – न मस्जिदों में खुदा शिव नहीं शिवालों में
ग़ज़ल ??
न मस्जिदों में खुदा है न है शिवालों में।
खुदा मिलेगा कबीरा के ही खयालों में।।
नशा शराब न दौलत न रूप के मद से।
नशा रहेगा सदा मीरा के ही प्यालों में।।
न तप न दान न उद्धव के ज्ञान में मिलते।
मिलेंगे कृष्ण सदा गोपियों के ग्वालों में।।
मलाई भोग न भंडारों के ही भूखे हैं।
मिलेंगे राम तुझे शबरी के निवालों में।।
न आसमाँ न जमीं पर ठिकाना है उसका।
वो फाड़ निकला है प्रहलाद की दीवालों में।।
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? वज़्न – 1212 1122 1212 22
?अर्कान – मुफ़ाइलु फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
? बह्र – मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ मक़्तूअ
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