ग़ज़ल:- नग़मे वफ़ा के गाएंगे…
नग़मे वफ़ा के गाएंगे।
हम तुम जब मिल जाएंगे।।
मुश्किल है जिंदा रहना।
बिन तेरे हम मर जायेंगे।।
मिलना जुलना बंद हुआ।
हम कैसे रह पायेंगे।।
रहे सलामत घर तेरा।
तन्हा हम रह पायेंगे।।
रोशन हो गर घर तेरा।
दिल को रोज जलायेंगे।।
तेरी खुशियों की ख़ातिर।
घुट-घुट हम मर जायेंगे।।
अरविंद राजपूत ‘कल्प’