ग़ज़ल/ना पूछिए हम तुम्हारें कौन हैं
ना पूछिए ना पूछिए इश्क़ में हम तुम्हारे कौन हैं
ना कीजिए ना कीजिए शरारे हम तुम्हारें कौन हैं
हम तो आए तुम्हारे भरोसे बरसों की प्यास बनकर
बस कीजिए बस कीजिए बेचारे हम तुम्हारें कौन हैं
कैसे कैसे गुज़ारे हैं दिन महीनें हमनें तड़प तड़पकर
अब थोड़ा सा रहम कीजिए सनम हम तुम्हारें कौन हैं
पहली मुलाकात में ही हम तो खो बैठें थे दिल अपना
फ़िर नाम किए तुम्हारें सातों जनम हम तुम्हारें कौन हैं
कुछ भी नहीं था हमपे तुम्हारें बग़ैर हवा को छोड़कर
ना जाना ना जाना कभी ओ जाना हमसे मुँह मोड़कर
हम तुम्हारें कौन हैं…………………हम तुम्हारें कौन हैं
सुन लीजिए सुन लीजिए हमारे करम हम तुम्हारें कौन हैं
हमनें दीवारों को बताया हाले दिल चाँद तारों को बताया
जब भी तुम्हारा नाम ज़ुबा पे आया तो आँसू निकल आया
अब ना कीजिए ना कीजिए कोई भरम हम तुम्हारें कौन हैं
ना पूछिए ना पूछिए इश्क़ में सनम हम तुम्हारें कौन हैं
ना सुनाना कभी ये दास्तां हर किसी से नज़र लग जाएगी
सब कुछ बताएगी तुम्हारें लबों की हँसीं हमदम हम तुम्हारें कौन हैं
छू लीजिए छू लीजिए अब होंठो से चिलमन हम तुम्हारें कौन हैं
भर दीजिए भर दीजिए रूह में मरहम हम तुम्हारें कौन हैं
ना पूछिए ना पूछिए इश्क़ में सनम हम तुम्हारें कौन हैं
बस कीजिए बस कीजिए शरारे कम हम तुम्हारें कौन हैं
~अजय “अग्यार