ग़ज़ल:- नज़र में मांँ की तो बेटा नवाब होता है…
बह्र – मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ मक़्तूअ
अर्कान – मुफ़ाइलु फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
नज़र में मांँ की तो बेटा नवाब होता है।
ये प्यार माँ का सदा लाज़वाब होता है।।
नक़ाब में न छुपाओ अदाए ये अपनी।
झुके नज़र जो अदब से हिज़ाब होता है।।
चमकते तारे सभी आसमाँ में छुप जाते।
उरूज जैसे ही ये आफताब होता है।।
लगे ये देर भले सच जरूर आयेगा।
गुनाहगार हर इक बेनकाब होता है।।
न ‘कल्प’ होता सिकंदर नसीब के दम पर।
कि मेहनतों से मुकम्मल ही ख़्वाब होता है।।
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’