ग़ज़ल- तड़पने के लिए मुझको…
ग़ज़ल- तड़पने के लिए मुझको…
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तड़पने के लिए मुझको भले मजबूर करता है,
मेरा दिलदार मुझको प्यार भी भरपूर करता है।
मुझे देता है तन्हाई मुहब्बत के सफ़र में पर,
वो जब मिलता है मेरे ग़म को चकनाचूर करता है।
मेरे वो पास आएगा अगर उसका करेगा दिल,
कि वो आशिक़ नहीं जो इश्क़ में मजबूर करता है।
किसी की याद में ज्यादा सिसकना है नहीं अच्छा,
ये ग़म चेहरे को मेरे दोस्तों बेनूर करता है।
भले “आकाश” मिलने की उसे फुरसत नहीं मिलती,
मगर दिल से नहीं मुझको कभी वो दूर करता है।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- २४/०१/२०२०