ग़ज़ल/तू जानेमन क़यामत क़यामत
तेरे होंठ लरज़े लरज़े तू जानेमन क़यामत क़यामत
तेरी शोख़ अदा अज़ब तू नशेमन क़यामत क़यामत
नैन तेरे जैसे हैं मय के प्याले उसपे तेरी उल्फ़त ग़जब
चाँदी के बिस्तर सी है तू तेरे चिलमन क़यामत क़यामत
जब मोरनी सी बुदबुदाती है तू मेरी जाँ चली जाती है
तेरा हलक गर ज़ुबा बदले तो बचपन क़यामत क़यामत
तेरी नज़र हाय क़ातिल कामिल झिलमिल झिलमिल
तू हँसें तो लगे जैसे गुलशन गुलशन क़यामत क़यामत
मुझें आगोश में ले तो मख़मली चादर सी तू रेशम रेशम
उफ्फ़ तेरा मिजाज ए हुस्न उफ्फ़ तेरा दामन क़यामत क़यामत
मैं महसूस करता हूँ तेरी चुम्बिश तेरी बाहों की पकड़
मेरे सीने पे धक धक तेरे दिल की धड़कन क़यामत क़यामत
तेरी ग़ज़ल, नज़्म हमदर्द मेरी हर वक़्त सनम मेरी दोस्त दोस्त
औऱ कभी कभी तेरी बेरुख़ी भी दुश्मन दुश्मन क़यामत क़यामत
तेरे गेसुओं की खुशबुएँ मेरी साँसों में घुली रहती है रहबर
मैं हार गया दिल,ऊपर से नीचे तक तेरा बदन क़यामत क़यामत
तुझें चाँद कहूँ गर मेरी जाँ उसमें तेरी तौहीन हो सकती है
तेरा गोल गोल चेहरा सागर सी आँखें रौशन रौशन क़यामत क़यामत
अब इल्तिज़ा है कि तुझसे लिपट जाऊँ मैं लट्टू की तरहा
क्या होगी तेरी छुवन जब लिपट जाऊँगा रपटन क़यामत क़यामत
~अजय “अग्यार