ग़ज़ल/तुम्हें भी हो जाएगा इश्क़ इस बेचारे अदीब से
ये हवा भीनी भीनी सी कुछ ये अपनी अपनी सी लगती है
इस हवा की खुशबुएँ भी तो अपनी अपनी सी लगती हैं
जब कहीं किसी रोज़ तुम गुज़र जाती हो मेरे क़रीब से……..
ऐसा नूरानी चेहरा गोलमोल, हर किसी को कहाँ मिलता है
ऐसा रूप का खज़ाना अनमोल,कहाँ मिलता है हर किसी को
ऐसा लगता है दुनिया मिल गयी हमें तुम मिल गयी हो नसीब से…….
दिल की ज़ुबा जज़्बात दिल के,हम तुमसे खामोशियों में कहते हैं
कभी सितारों सा चमका करते हैं, कभी बे फ़िक़रे चाँद चाँद से रहते हैं
तुमसे मिलने का जतन हम क्या बताएं ,कैसे बादल बारिशों को घेरे तरक़ीब से……
अब मिल गया है तो महफूज़ ये हुस्न अपना तौफ़ीक़ रखना
ख़ुद को हीर रखना जूलियट रखना सच्ची मोहब्बत में शरीक रखना
नज़र ना लग जाए कहीं किसी की हाय तुम रखना पहरें ताबीज़ से…..
हम भी तुम्हारे इतने दीवाने हो गए हैं कि कोई होगा ना हम सा
तुम्हें शमा समझ लिया इतने परवाने हो गए हैं कि कोई होगा ना हम सा
इक ना इक दिन तुम्हें भी हो ही जाएगा इश्क़ इस बेचारे अदीब से……
~अजय “अग्यार