ग़ज़ल/तसल्ली रख
सहरा में भी फूल खिल जाएगा तसल्ली रख
सबका वक़्त आया है तेरा भी आएगा तसल्ली रख
अपने क़दमों को इक़ सफ़र तय कर लेने दे
मुसाफ़िर ख़ुद रस्ता तुझें रस्ता बताएगा तसल्ली रख
मत सोच कि किस किसने तेरा दिल तोड़ा है
ये तेरा दिल तोड़ कर कोई क्या पाएगा तसल्ली रख
अपने सीने में अरमानों के फूल उगा इतना कर
ये तज़ुर्बा तुझें साहिल तलक ले जाएगा तसल्ली रख
ये जो ख़ामोश है नज़ारा जी उठेगा इक़ दिन
तेरी ख़ुशी में सारा ज़माना गीत गाएगा तसल्ली रख
~~अजय”अग्यार