ग़ज़ल- जो प्यार दिल में है वो आँखों से झलकता है।
मुफ़ाएलुन फ़एलुन मुफ़ाएलुन फ़ैलुन
जो प्यार दिल में है वो आँखों से झलकता है।
जुबाँ ख़मोश मगर नज़रों से बरसता है।।
ये आइना भी न कर पाया तेरा रूप ब़यां।
सुना है चाँद तेरे हुस्न से भी जलता है।।
सुराही सर निहूं भरती रहे यूँ पैमाने।
हाँ मयक़दे में ये जाम ही छलकता है।
तपा है सोना खरा बंद वो तिजोरी में।
है खोटा सिक्का तभी तो बहुत खनकता है।।
सभी के काम जो आये, जगह दिलों में हो।
है ‘कल्प’ जिंदगी की ये, बड़ी सफलता है।।
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’