ग़ज़ल :- गुलबदन कर दिया खुशबुओं ने मुझे…
आसरा जब दिया बाजुओं ने मुझे।
गुलबदन कर दिया खुशबुओं ने मुझे।।
इक़ बहम था कि मैं टूट सकता नहीं।
रात पिघला दिया आँसुओं ने मुझे।।
था अँधेरा समेटे जो आगोश में।
राज बतला दिया जुगनुओं ने मुझे।।
इश्क की सरहदें तोड़कर जब उड़ा।
फिर से उलझा लिया गेसुओं ने मुझे।।
आग का रंग क्या खून का रंग क्या।
रंग बतला दिया टेसुओं ने मुझे।।
क्यों भरोसा किया आंसुओं पर तेरे।
‘कल्प’ धोखा दिया आँसुओं ने मुझे।।
अरविंद राजपूत ‘कल्प’
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