ग़ज़ल /गीतिका
जो गया जग छोड़कर, उसको कभी आना नहीं
वह शरण में है रब के, कोई और का प्यारा नहीं |
झिलमिलाता चौंधियाना चीज़ जिसमे है चमक
दीखता है दीप्त पर वह तो खरा सोना नहीं |
आज कल औलाद अपना सुख जो पहले देखते
वो तुम्हारा आसरा होता कभी अपना नहीं |
साँप है ज़हरीला, जोखिम से भरा वह जंतु, पर
आदमी से बड़ा, कोई साँप ज़हरीला नहीं |
वो खड़े तो हो गए दंगल में, जनता क्या करे
नेताजी का पीछला इतिहास अनजाना नहीं |
कर मिलाया भ्रष्ट रिश्वत खोर से गुंडागिरी
जानलो इसको छुपाया खोखला सौदा नहीं |
कालीपद ‘प्रसाद’