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28 Jan 2017 · 1 min read

ग़ज़ल /गीतिका

सादगी है भली जिंदगी के लिये
तीरगी फैली है रौशनी के लिये ।

बेवफाई नही पत्नियों से कभी
फायदा है वफा, आदमी के लिये ।

क्या कहूँ क्या लिखूँ सब रहा अनकहा
शब्द पूरा नही शायरी के लिये ।

चाह है कोइ भी काम हो खुद करूँ
ज्ञान तो है नही नौकरी के लिये ।

मुस्कुराना पड़ा, खिल्खिलाना पड़ा
ए सभी खोखला दिल्लगी के लिये ।

वोट पाये सभी, मुफ्लिसो से सदा
कुछ करो फायदा, मुफ्लिसी के लिये ।

© कालीपद ‘प्रसाद

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