ग़ज़ल।तुम्हारे प्यार की दुनिया दिवानी अब नही होती ।
ग़ज़ल।तुम्हारे प्यार क़ी दुनिया दिवानी अब नही होती।
अधूरे रह गये किस्से कहानी अब नही होती ।
तुम्हारे प्यार की दुनिया दिवानी अब नही होती ।।
दिलों को तोड़कर बेसक दिया तुमने है तन्हाई ।
ज़लवा हुश्न में पागल शयानी अब नही होती ।।।
तुम्हें तो याद ही होगा तुम्हारा तो जबाना था ।
बेगाने हो रहे अपने जवानी अब नही होती ।।
पता चल ही गया होगा तुम्हे भी अश्क़ की क़ीमत । निगाहें कातिलानी वो गुमानी अब नही होती ।।
करोगे क्या वफ़ाई तुम मिली तुमको तो तन्हाई ।
जफ़ा में प्यार की क़ीमत चुकानी अब नही होती ।।
मेरे ही सामने मसलन मेरे खत को जलाया था ।
तेरे नफ़रत की वो यांदें पुरानी अब नही होती ।।
खुदा का फ़ैसला ही है अकेले रह गये “रकमिश” ।
कि तोहफ़े अब नही होतें निसानी अब नही होती ।।
राम केश मिश्र”रकमिश”