ग़ज़ल।गम से तेरे अभी तक रिहा न हुआ ।
ग़ज़ल /गम से तेरे अभी तक रिहा न हुआ ।
दर्द दिल का वही है दवा न हुआ ।
ग़म से तेरे अभी तक रिहा न हुआ ।
हो गयी दूर तेरी वो परछाइयाँ ।
पर यकीं मान लो फ़ासला न हुआ ।
तड़फड़ाता रहा उम्रभर प्यार मे ।
फ़स गयी जिंदगी मै रिहा न हुआ ।
सोच मत मै अकेला हूं अब भी यहां ।
तेरे जैसा मेरा दूसरा न हुआ ।
आंसुओं की मुझे फिक्र बेशक़ नही ।
तेरे जाने से ज़्यादा , बुरा न हुआ ।
आ चली देख ले लुट गयी जिंदगी ।
हार करके तुम्हे जीतना न हुआ ।
तू चली ही गयी छोड़ रकमिश को जब ।
मन्ज़िले ढ़ह गयी रास्ता न हुआ ।
राम केश मिश्र