“ग़ुम हो जाते हैं”
चलो फिर से कहीं हम ग़ुम हो जाते हैं,
तुममें हम और हममें तुम हो जाते हैं,
कभी किसी राह में, मुलाकात हो जाये
दिल की धड़कनों को फिर , तुम्हारा एहसास हो जाये,
चलो फिर से वही इक शाम जीते हैं,
सर्द हवाओं में गर्म, कुल्हड़ की चाय पीते हैं,
चलो फिर से कहीं हम ग़ुम हो जाते हैं,
तुममें हम और हममें तुम हो जाते हैं
मिले जब भी जुबां पे नाम तेरा ही हो जाये,
तुझसे ही रोशन दिन चमकती रात हो जाये,
जहाँ ना हो शिक़वे गिले तकरार की बातें,
चलो फिर से वही हम , वही तुम हो जाते हैं,
कहीं हम ग़ुम हो जाते हैं, कहीं हम ग़ुम हो जाते हैं।