Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Nov 2021 · 1 min read

ग़मों की फ़िक्र को, धुएं में उड़ाना सीखो

ग़मों की फ़िक्र को, धुएं में उड़ाना सीखो
जिन्दगी को अपने गले से, लगाना सीखो

रिश्ते जो अपनापन खो भी दें , तो क्या गम
अजनबियों के चेहरों पर , मुस्कराहट लाना सीखो

ग़मों का समंदर , रोशन हो भी जाए तो क्या गम
खुद से करो मुहब्बत, हर पल मुस्कराना सीखो

गिरते और उठते रहने का खेल , चलता रहेगा बदश्तूर
अपना हर एक कदम, मंजिल की ओर बढ़ाना सीखो

क्या हो जाएगा दो – चार बार, फिसल भी गये तो
खुद को कर बुलंद , खुद पर विश्वास जताना सीखो

जीवन है चलता – फिरता खिलौना, इसके टूटने का क्या गम
जिन्दगी छोटी ही सही , इसे मुकम्मल बनाना सीखो

क्यूं कर उलझे रहें , अपने ही ग़मों में समंदर में
पीर दूसरों की मिटाकर, अपनी पीर भुलाना सीखो

अपने ही सपनों में उलझ , क्यूं कर बिसार दें ये सुनहरे पल
किसी के सपनों को उड़ान देकर , खुद पर इतराना सीखो

ग़मों की फ़िक्र को, धुएं में उड़ाना सीखो
जिन्दगी को अपने गले से, लगाना सीखो

रिश्ते जो अपनापन खो भी दें , तो क्या गम
अजनबियों के चेहरों पर , मुस्कराहट लाना सीखो

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 237 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
सफलता और असफलता के बीच आत्मछवि- रविकेश झा
सफलता और असफलता के बीच आत्मछवि- रविकेश झा
Ravikesh Jha
I want to have a sixth autumn
I want to have a sixth autumn
Bindesh kumar jha
अजर अमर सतनाम
अजर अमर सतनाम
Dr. Kishan tandon kranti
🌹खूबसूरती महज....
🌹खूबसूरती महज....
Dr .Shweta sood 'Madhu'
यूं तो गम भुलाने को हैं दुनिया में बहुत सी चीजें,
यूं तो गम भुलाने को हैं दुनिया में बहुत सी चीजें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
विरोध-रस की काव्य-कृति ‘वक्त के तेवर’ +रमेशराज
कवि रमेशराज
DR अरूण कुमार शास्त्री
DR अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"" *तस्वीर* ""
सुनीलानंद महंत
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
Ajit Kumar "Karn"
1. चाय
1. चाय
Rajeev Dutta
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
Rj Anand Prajapati
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - ३)
Kanchan Khanna
कौन कहता है कि आसमां झुकता नहीं है
कौन कहता है कि आसमां झुकता नहीं है
VINOD CHAUHAN
बेजुबाँ सा है इश्क़ मेरा,
बेजुबाँ सा है इश्क़ मेरा,
शेखर सिंह
एक कुंडलियां छंद-
एक कुंडलियां छंद-
Vijay kumar Pandey
*माँ जगत जननी*
*माँ जगत जननी*
Vedkanti bhaskar
पिताजी हमारे
पिताजी हमारे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
Atul "Krishn"
3356.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3356.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
उस के धागों में दिल के ख़ज़ाने निहाँ
उस के धागों में दिल के ख़ज़ाने निहाँ
पूर्वार्थ
🌹💖🌹
🌹💖🌹
Neelofar Khan
गीतिका
गीतिका
surenderpal vaidya
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Chaahat
ये बेजुबान हैं
ये बेजुबान हैं
Sonam Puneet Dubey
सीख गुलाब के फूल की
सीख गुलाब के फूल की
Mangilal 713
*पहले-पहल पिलाई मदिरा, हॅंसी-खेल में पीता है (हिंदी गजल)*
*पहले-पहल पिलाई मदिरा, हॅंसी-खेल में पीता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*भारतीय शेरनी  विनेश  फ़ौगाट*
*भारतीय शेरनी विनेश फ़ौगाट*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुस्कुराती  बेटियों पे गिर रही है बिजलियाँ
मुस्कुराती बेटियों पे गिर रही है बिजलियाँ
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
चिन्ता कब परिवार की,
चिन्ता कब परिवार की,
sushil sarna
..
..
*प्रणय*
Loading...