ग़मों की फ़िक्र को, धुएं में उड़ाना सीखो
ग़मों की फ़िक्र को, धुएं में उड़ाना सीखो
जिन्दगी को अपने गले से, लगाना सीखो
रिश्ते जो अपनापन खो भी दें , तो क्या गम
अजनबियों के चेहरों पर , मुस्कराहट लाना सीखो
ग़मों का समंदर , रोशन हो भी जाए तो क्या गम
खुद से करो मुहब्बत, हर पल मुस्कराना सीखो
गिरते और उठते रहने का खेल , चलता रहेगा बदश्तूर
अपना हर एक कदम, मंजिल की ओर बढ़ाना सीखो
क्या हो जाएगा दो – चार बार, फिसल भी गये तो
खुद को कर बुलंद , खुद पर विश्वास जताना सीखो
जीवन है चलता – फिरता खिलौना, इसके टूटने का क्या गम
जिन्दगी छोटी ही सही , इसे मुकम्मल बनाना सीखो
क्यूं कर उलझे रहें , अपने ही ग़मों में समंदर में
पीर दूसरों की मिटाकर, अपनी पीर भुलाना सीखो
अपने ही सपनों में उलझ , क्यूं कर बिसार दें ये सुनहरे पल
किसी के सपनों को उड़ान देकर , खुद पर इतराना सीखो
ग़मों की फ़िक्र को, धुएं में उड़ाना सीखो
जिन्दगी को अपने गले से, लगाना सीखो
रिश्ते जो अपनापन खो भी दें , तो क्या गम
अजनबियों के चेहरों पर , मुस्कराहट लाना सीखो